धर्मेन्द्र की फिल्मों से हमें हमेशा यही उम्मीद रहती है कि वो बड़े पर्दे पर आते ही एक्शन, रोमांस और शेर की दहाड़ जैसे डायलॉग्स से पूरा सिनेमाघर हिला देंगे। और आजाद इस उम्मीद पर ना सिर्फ खरा उतरती है,बल्कि यूं कहिए की यहाँ तो एक्शन का ओवरडोज है। Azaad Movie Facts फिल्म 1978 में रिलीज हुई थी, और सुपरहिट साबित हुई थी। चलिए फिल्म की कहानी पर चर्चा करते है।
आजाद और उसका घोड़ा
कहानी की शुरुआत होती है हमारे हीरो अशोक यानि धर्मेन्द्र और उसके खूबसूरत घोड़े राजू से। राजू कोई साधारण घोड़ा नहीं है, ये उसका सबसे प्यारा दोस्त है। फिल्म का पहला गाना ही “राजू चले राजू” है, जो साफ़ तौर पर शोले के “ये दोस्ती” का घोड़ा-राइडिंग वर्ज़न लगता है। बस फर्क ये कि बाइक की जगह यहाँ है शानदार सफेद घोड़ा और धर्मेन्द्र की लेज़ी-बॉय स्टाइल की काठी।
अशोक गाँव-गाँव घूमता है, लड़ाई-झगड़े सुलझाता है, लोगों की मदद करता है। लेकिन उसकी भाभी सरला (सुलोचना लटकर) चाहती हैं कि वो ये सब छोड़कर कोई इज्ज़तदार नौकरी करे।
हीरोइन की एंट्री – आग लगाने वाली राजकुमारी
मिलिए राजगढ़ की राजकुमारी सीमा (हेमा मालिनी) से पहली मुलाकात ही धमाकेदार—राजकुमारी खेत में आग लगा रही हैं ताकि वो लाइव पेंटिंग बना सकें! अशोक उनको डाँटता है और नतीजा? राजकुमारी नखरे में आकर हीरो को जेल भिजवा देती हैं।
सीमा और अशोक की तकरार यहीं से शुरू होती है, जो बाद में रोमांस में बदलती है। और क्या कहें—धर्मेन्द्र–हेमा की जोड़ी उस ज़माने में ड्रीम टीम थी।
असली खलनायक – अजीत और प्रेम
सीमा की सारी जायदाद पर कब्ज़ा जमाए बैठे हैं ठाकुर अजीत सिंह (अजीत) और उसका बेटा प्रेम (प्रेम चोपड़ा)।
अजीत ने सीमा के पिता रंजीत सिंह (ओम शिवपुरी) को क़ैद कर रखा है। सबको यकीन दिला रखा है कि वो पागल हैं, जबकि असल में उन्हें नशे की दवाओं से जंजीरों में बाँध कर रखा गया है।
प्रेम, नाम के अनुसार बिल्कुल भी प्रेमी नहीं बल्कि डरपोक बदमाश है, जो ज़बरदस्ती सीमा से शादी कर उसकी दौलत हड़पना चाहता है।
मसालेदार घटनाएँ
फिल्म के बीच के हिस्से में आपको मिलते हैं “मसाला सिनेमा” के सारे नमक-मिर्च:
- अशोक और सीमा की नोकझोंक—कभी गाना, कभी शरारत, कभी प्यार।
- जंगल में टाइगर फाइट—जहाँ धर्मेन्द्र रस्सी और बाल्टी से बाघ को काबू करने की कोशिश करते हैं।
- रमेश (केशटो मुखर्जी) की दुखद मौत—जो शराबी ज़रूर है लेकिन दिल का अच्छा है, और तस्करी का राज़ पकड़ने पर मार डाला जाता है।
- प्रेम की गंदी हरकत—वो अशोक की बहन रेखा (शोमा आनंद) पर हमला करने की कोशिश करता है, और तभी कैद से बाहर निकलकर रंजीत सिंह उसकी मदद करते हैं।
- आग, धुआँ और जलता हुआ महल—जहाँ अशोक कूदकर रंजीत सिंह को बचाता है।
क्लाइमैक्स – “Loony Bin of Death”
अब आते हैं फिल्म के सबसे मज़ेदार हिस्से पर—अजीत का गुप्त अड्डा।
यह कोई साधारण विलेन का ठिकाना नहीं, बल्कि पूरा पागलखाना + डेथ ट्रैप + डिस्को डांसर सेट सबकुछ मिला-जुला है।
- यहाँ दीवारों से आग निकलती है,
- छत से कांटेदार सजावट गिरती है,
- Vat 69 की बोतलों से सजे स्टफ़्ड भालू खड़े हैं,
- और नकली खतरनाक लैब्राडोर कुत्ता (जो असल में स्टफ़्ड टॉय है) हीरो को मारने के लिए छोड़ा जाता है।
साथ ही, अजीत ने सरला, रेखा और ठाकुर रंजीत सिंह को भी पकड़ रखा है और उनको ओवन में झोंकने की धमकी दे रहा है।
नतीजा
आगे क्या होता है ये बताने की ज़रूरत नहीं—क्योंकि धर्मेन्द्र है हीरो। और जब गरम धरम मैदान में उतरते हैं, तो वो बाघ, विलेन और पूरा डेथ ट्रैप सबको मात दे देते हैं।
Azaad 1978 Movie Facts
- फिल्म का निर्देशन प्रमोद चक्रवर्ती ने किया था, और प्रमोद चक्रवर्ती को इस फिल्म की बीच शूटिंग में दिल का दौरा पड़ा था, जिस वजह से यए फिल्म एक साल लेट हो गई थी।
- आजाद फिल्म साल 1978 की चोथी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी, पहले नंबर पर मुकद्दर का सिंकन्दर थी, दूसरे पर त्रिशूल, तीसरे पर डॉन फिल्म थी।
- इस फिल्म के लिए केस्टो मुखर्जी को बेस्ट कोमेडीयन का फिल्मफेयर अवॉर्ड नॉमिनेशन मिला था।
क्यों देखनी चाहिए ये फिल्म?
- धर्मेन्द्र का फुल-ऑन हीरोइज़्म – कभी ज़ोरो, कभी टार्ज़न, कभी प्रेमी, कभी बाग़ों का पहलवान।
- हेमा मालिनी का ड्रीम गर्ल अंदाज़।
- अजीत और प्रेम चोपड़ा की क्लासिक विलेनगिरी।
- ओम शिवपुरी की इमोशनल परफॉर्मेंस।
- और सबसे बड़ी चीज़ – 70s का वो मसाला जो आज के OTT पर कहीं नहीं मिलेगा।