दोस्तों इस दुनिया में एक ऐसा रोग है जिसका कोई इलाज नहीं है, और उस रोग ने कई लोगों को बर्बाद किया है। उस रोग का नाम है- उम्मीद। इस रोग के बारें में समय समय पर बात भी होती है, लेकिन बाद में पता चलता है कि जो लोग इस टॉपिक पर बात करते है वो खुद इस रोग से ग्रस्त है। आज हम एक ऐसे कलाकार जिसने Bal Bramhachari में लीड हीरो का रोल किया था उसकी कहानी से आपको रूबरू करवाने जा रहे है जिन्होंने इस रोग को झेला और बाद में गुमनामी में कहीं खो गया।
उम्मीद का बोझ जिसने Puru Raaj Kumar का करियर खत्म कर दिया
पुरू राजकुमार, जो की हिन्दी फिल्मों के सुपरस्टार राजकुमार साहब के बेटे है, वो भी लोगों की उम्मीद के नीचे दबकर रह गए। लोगों ने उनसे इतनी ज्यादा उम्मीद लगा ली थी, की उस उम्मीद से उन्हे उभरने में सालों लग गए। और जब वो उभरे तो वो लोग वहा नहीं थे, जो कभी किसी समय उनसे उम्मीद करते थे।
ये बात उन दिनों की है जब पुरू राजकुमार अपनी डेब्यू फिल्म “Bal Bramhachari” कर रहे थे। उस समय मीडिया में ये खूब चर्चा चली की राजकुमार साहब का बेटा बॉलीवुड में एंट्री कर रहा है, ये तो बड़ा धमाका करने वाला है। अखबार, मेगजीन सब जगह इसी बात की चर्चा हो रही थी। फिल्म को जाने माने डायरेक्टर प्रकाश मेहरा डायरेक्ट कर रहे थे। और बप्पी लहरी इसे अपने सुरों से सजा रहे थे।
Bal Bramhachari: राजकुमार साहब के बेटे की ग्रैंड लॉन्च जो फ्लॉप साबित हुई
फिल्म रिलीज हुई 6 सितंबर 1996 को, लोग बड़ी उम्मीद लेकर ये फिल्म देखने थियेटरों तक गए। सबको उम्मीद थी की राजकुमार साहब जैसी भारी भरकम आवाज के साथ और उसी अंदाज में उनका बेटा भी डायलॉग्स बोलेगा। लेकिन पुरू राजकुमार अपने पिता से बिल्कुल अलग निकले। लोगों की उम्मीदें धराशाही रह गई। एक झटके में लोगों ने उन्हे नकार दिया, और उनकी पहली ही फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से पीट गई।
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फिल्म में लोगों को उनकी ऐक्टिंग पसंद नहीं आई, जिस कारण पुरू राजकुमार को बाद में हीरो का रोल मिलना बंद हो गया। आज शायद ही किसी को पुरू राजकुमार के बारे में पता होगा।
विलेन बनकर भी छा न सके Puru Raaj Kumar – गुमनामी में खो गया एक नाम
Bal Bramhachari movie के flop होने के बाद पुरू राजकुमार ने बाद में कई और बॉलीवुड फिल्मों में काम किया। लेकिन उन फिल्मों में उन्हे हीरो नहीं बल्कि विलेन की भूमिका मिली। वें फिल्में थी, हमारा दिल आपके पास है, दुश्मनी, मिशन कश्मीर, LOC करगील, वीर, एक्शन जैक्शन, उमराव जान और खतरों के खिलाड़ी।
इन फिल्मों में पुरू राजकुमार जी ने उम्दा काम किया, लेकिन वो सफलता नहीं मिल पाई, जिनकी लोगों ने उम्मीद लगा रखी थी। एक तरह से कह सकते है कि लोगों की ये उम्मीदें उनका पूरा करियर खा गई। पुरू राजकुमार सिर्फ एक स्पोर्टिंग एकटर बन कर रह गए। लेकिन स्पोर्टिंग एक्टर बनकर भी वो लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित नहीं करा पाए। और धीरे धीरे गुमनामी के अंधेरे में कहीं खो गए, और लोगों ने भी उन्हे भुला दिया।
प्रकाश मेहरा की आख़िरी फिल्म साबित हुई Bal Bramhachari
पुरू राजकुमार की डेब्यू फिल्म “Bal Bramhachari” की बात करें, तो इसे प्रकाश मेहरा ने डायरेक्ट किया था। बता दे की यही फिल्म प्रकाश मेहरा द्वारा निर्देशित आखरी फिल्म थी। इसके बाद उन्होंने किसी और फिल्म को डायरेक्ट नहीं किया। शायद लोगों ने इसी वजह से इस फिल्म से उम्मीद लगा रखी थी, की इसके डायरेक्टर प्रकाश मेहरा जी है।
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Bal Bramhachari फिल्म में पुरू राजकुमार के अपोजीट Karishma Kapoor थी, और सहायक कलाकारों में दीपक तिजोरी और आशिफ शैख नजर आए थे। फिल्म का बजट था 2 करोड़ रुपए, और इस फिल्म ने 4.57 करोड़ की ही कमाई की, जिस कारण बॉक्स ऑफिस इंडिया ने इसे फ्लॉप घोषित किया।
बचपन की यादें: जब VCD पर देखी थी ये फिल्म
आज जब ये लेख लिखा जा रहा है, Bal Bramhachari फिल्म को रिलीज हुए 29 साल हो चुके है। लोगों को तो शायद याद भी नहीं होगी ये फिल्म। हमने तो एक बार बचपन में इसे टीवी पर देखा था, उस समय VCD का जमाना था। और हमे मार्केट में 30 रुपये में इसकी केसेट मिल गई थी। उस समय पता नहीं कैसे इस फिल्म को झेला था, शायद उस समय केसेट लगाकर फिल्में देखने का जो चाव हुआ करता था उसी वजह से फिल्म को पूरा देख पाए थे। उस समय तो फिल्म पसंद आई थी, और सबसे ज्यादा तो वो सीन पसंद आया था, जब पुरू राजकुमार एक मेडिकल स्टोर से दवाइयों की एक बड़ी लोहे की अलमारी कंधे पर धर कर ले आते है। आज अगर ये फिल्म देखने बैठ जाऊँ तो 5 मिनट से ज्यादा नहीं झेल पाऊँगा। कमेन्ट करके बताइए दोस्तों, आपने बाल ब्रह्मचारी फिल्म कब देखी थी, और आपको ये फिल्म उस समय कैसी लगी थी।