Amitabh Bachchan Unreleased Movie : हिंदी सिनेमा का इतिहास सिर्फ बनी हुई फिल्मों तक सीमित नहीं है। कई ऐसी फिल्में भी हैं जो घोषित तो हुईं लेकिन कभी पूरी न बन सकीं। पुराने आर्काइव्स में जब झाँका जाता है तो कई ऐसे अनसुने किस्से सामने आते हैं। इन्हीं में से एक है अमिताभ बच्चन और रेखा की अनाउंस की गई फिल्म “लंबू दादा” की कहानी, जिसका पोस्टर तक रिलीज कर दिया था, लेकिन फिल्म डिब्बा बंद होकर रह गई।
1978 की “लंबू दादा”
साल था 1978. प्रोड्यूसर अमरलाल पी. छाबरिया ने एक फिल्म बनाने की घोषणा की। इस फिल्म का निर्देशन मशहूर कॉमेडियन महमूद साहब करने वाले थे। फिल्म में संगीतकार के रूप में R. D. बर्मन के सहयोगी बसु–मनोहारी को चुना गया, फिल्म के गीत मजरूह सुल्तानपुरी लिखने वाले थे। और इस फिल्म में अमिताभ बच्चन और रेखा के अलावा राकेश रोशन सेकंड लीड रोल में नजर आने वाले थे। Amitabh Bachchan Unreleased Movie
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कॉमेडी का तड़का लगाने के लिए इस फिल्म में केशटो मुखर्जी, मोहन चोटी, सुंदर, मुखरी के अलावा खुद महमूद भी एक अहम रोल में नजर आने वाले थे। फिल्म का पोस्टर तक रिलीज कर दिया गया था और खास बात ये है कि इस फिल्म के पोस्टर में लिखा गया था: “Introducing GoGa Pehalwan from Karnataka”। SCREEN मैगज़ीन में छपा यह पोस्टर आज भी एक दुर्लभ दस्तावेज़ है।
इस फिल्म के निर्माता थे, अमरलाल पी. छाबरिया, और राम गोविंद इसकी कहानी लिख रहे थे। मगर अफसोस, कि ये फिल्म कभी पूरी न हो सकी और जल्दी ही ठंडे बस्ते में चली गई।
1990 के दशक की “लंबू दादा”
करीब 10 साल बाद इसी नाम से फिर से एक फिल्म बनाने की कोशिश की गई, इस बार लीड रोल में थे कबीर बेदी, जो “लंबू दादा” के टाइटल पर बिल्कुल फिट बैठते थे। उनके साथ थे माधवी, परेश रावल, अरुणा ईरानी, किरण कुमार, महेश आनंद और कई और कलाकार।
नई फिल्म के निर्देशक बने शरद चौधरी, और संगीत दिया राजेश रोशन ने। गाने लिखे इंदीवर, अनवर सागर, पयाम सईदी और माया गोविंद ने। कहानी एक गुंडे लंबू दादा (कबीर बेदी), एक छोटी बच्ची और माधवी के किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती थी। लेकिन नतीजा उम्मीद से बहुत नीचे रहा।
कमजोरियाँ
यह फिल्म 80s के टिपिकल अंदाज़ में बनी थी – बैकग्राउंड म्यूज़िक कहीं से उठाकर जोड़ दिया गया, कलाकारों की आवाज़ें डब की गईं और टेक्निकल क्वालिटी भी बेहद कमजोर रही। शायद इसके निर्माण में भी कई अड़चनें आईं, और आख़िरकार ये फिल्म एक ऐसा प्रोडक्ट बनकर सामने आई जिसे देख पाना मुश्किल था।
अहम तथ्य
- नई “लंबू दादा” की स्क्रिप्ट अमिताभ रेखा वाली “लंबू दादा” से बिल्कुल अलग थी।
- ये फिल्म साल 1991 में रिलीज हुई थी।
- आज ये फिल्म यूट्यूब पर उपलब्ध है।
- लेकिन इसके कई गानों को किसी कारणवश “म्यूट” कर दिया गया है।
लंबू दादा” की कहानी इस बात की गवाही देती है कि हिंदी सिनेमा में सिर्फ हिट और ब्लॉकबस्टर ही नहीं, बल्कि अधूरी और भूली हुई फिल्में भी एक अहम हिस्सा हैं। अगर 1978 में अमिताभ बच्चन और रेखा वाली फिल्म बन जाती, तो शायद उसका असर कुछ और ही होता। लेकिन आज हमें सिर्फ उसका एक पोस्टर और अधूरी यादें ही मिलती हैं। कमेन्ट में बताइए अगर आज ये फिल्म बनती है, तो आपके हिसाब से इसमें किसे हीरो का रोल करना चाहिए।
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